सरकारी सिस्टम की लापरवाही कहें या अधिकारियों की उदासीनता मानसून सीजन से पहले गौला नदी में पानी के बहाव से किसानों की जमीन और मकानों को बचाने के लिए बाढ़ सुरक्षा दीवार और तटबंध बनाए जाने थे लेकिन मानसून सीजन शुरू हो गया है ! लेकिन तटबंध के नाम पर एक दीवार भी नहीं बनी है। यहां तक कि तटबंध और सुरक्षा दीवार बनाने वाली उत्तराखंड सरकार की सरकारी एजेंसी पेयजल निर्माण निगम को नदी में तटबंध और सुरक्षा दीवार मानसून सीजन से पहले 14 जून तक बनाने थे। आलम यह है कि तटबंध का कार्य अभी तक शुरू भी नहीं हो पाया है।
तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि गौला नदी में करीब दो करोड़ की लागत से तटबंध और सुरक्षा दीवार बनाई जानी थी। इसके लिए मार्च माह में सरकारी कार्यदाई संस्था पेयजल निर्माण निगम को धन आवंटित भी कर दिया था लेकिन निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया। निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर परियोजना प्रबंधक को मई माह में पत्र के माध्यम से रिमाइंडर भी कराया गया लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। जिसके बाद जून के पहले सप्ताह में भी कार्यदाई संस्था को पत्र लिखा गया लेकिन अभी तक नदी में तटबंध का निर्माण कार्य नहीं होने की जानकारी जिलाधिकारी को अवगत करा दी गई है। उत्तराखंड की सरकारी एजेंसी पेयजल निर्माण निगम को तटबंध और सुरक्षा दीवार को 14 जून तक कार्य अवधि पूरा करना थ. लेकिन एजेंसी द्वारा पूरी तरह से लापरवाही बरती गई है। जिसका नतीजा है कि अभी तक तटबंध का कार्य शुरू नहीं हो पाया। गौरतलब है कि दो साल पहले गौला नदी में आई बाढ़ के चलते हल्द्वानी, हल्दूचौड़ सहित बिन्दुखत्ता के कई ग्रामीण इलाकों में भारी भू कटाव के साथ-साथ कई मकानों को भी नुकसान पहुंचा था। नदी में तटबंध और सुरक्षा दीवार बनाने के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन और ज्ञापन भी सरकार और अधिकारियों को दे चुके हैं लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी नदी में कोई सुरक्षा दीवार नहीं बन पायी है। ऐसे में मानसून नजदीक है और यहां के ग्रामीण फिर से एक बार डर के साए में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध और सुरक्षा दीवार को लेकर लगातार अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय विधायक को भी अवगत करा चुके हैं लेकिन इस पर काम शुरू नहीं हुआ। ऐसे में बरसात के समय गौला नदी अगर फिर से विकराल रूप धारण करती है तो कई ग्रामीण क्षेत्रों में भारी तबाही मचेगी।
वहीं जिलाधिकारी नैनीताल वंदना सिंह का कहना है कि तटबंध निर्माण में देरी हुई है। इसके लिए कार्यदाई संस्था से जवाब मांगा गया है. साथ ही नदी में बनने वाले तटबंध और सुरक्षा दीवार को जल्द बनाने के लिए निर्देशित किया गया है। इस पूरे मामले में जब ईटीवी भारत के संवाददाता द्वारा कार्यदाई संस्था से जानकारी जाननी चाही तो अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया.खबर दो बार लगी है उसे हटा दें।