नैनीताल : जैवप्रौद्योगिकी परिषद पटवडंगार में बायोटेक्नोलॉजी स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ आयोजन

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उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद् के क्षेत्रीय कार्यालय पटवाडांगर (नैनीताल) में बायोटेक्नोलॉजी स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम” का आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं परिषद् के निदेशक डॉ. संजय कुमार व कुमाऊं विश्वविद्यालय की प्राध्यापक डा० सुषमा टॉम्टा व विद्यार्थियों व शोधार्थियों का स्वागत करते हुए पटवाडांगर संस्थान के प्रभारी डा० सुमित पुरोहित ने सभा को संस्थान में शोध गतिविधियों के बारे में अवगत कराया। डा० सुमित पुरोहित ने पटवाडांगर में टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला मे ‘विकिसित किये जा रहे किवी फल एवं अन्य पौधों के बारे में अवगत कराया ।
मुख्य अतिथि एवं परिषद् के निदेशक डा0 संजय कुमार ने सभा व युवा वैज्ञानिकों को संबोधित करते पटवाडांगर के इतिहास के बारे प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सन् 1903 में चेचक रोग की वैक्सीन बनाने के उद्देश्य से पटवाडांगर की स्थापना की गई थी व चेचक रोग के उन्मूलन में इस संस्थान की अहम भूमिका रही। इस उपरांत पटवाडांगर में रेबीज वैक्सीन व टिनिस की वैक्सीन का उत्पादन भी किया गया। डा0 संजय कुमार ने कहा कि आज के युवा बॉयोटैक्नोलॉजिस्ट्स व वैज्ञानिक देश का भविष्य हैं। उन्होंने रेड, ग्रीन, व्हॉइट, ब्लू व येलो बायोटेक्नोलॉजी पर प्रकाश डाला व कहा बॉयोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बॉयोफार्मास्यूटिल का 60 प्रतिशत योगदान है। उन्होनें कहा कि बॉयोटेक्नोलॉजी की दृष्टि से उत्तराखण्ड सबसे बेहतरीन राज्य है क्योंकि यहां पर जड़ी बूटियां की बहुतायत है व इनसे कई गंभीर रोगों में कारगर औषधीय दवाईयां बनाई जा सकती हैं। डा० संजय कुमार ने क्लोन तकनीक पर भी विचार व्यक्त किये व कहा कि बॉयोटैक्नोलॉजी व जेनेटिक फेरबदल करके ऐसी एस्जाटिक गाय विकसित की जा सकती है जो कम से कम प्रतिदिन उच्च गुणवत्ता वाले 05 लीटर दूध का उत्पादन कर सकती है। इस संबंध में डा० संजय कुमार ने उत्तराखण्ड की स्थानीय बदरी गाय व पदमजा बकरी की
महत्वता पर प्रकाश डाला।

जिसके बाद कुमाऊं विश्वविद्यालय की प्राध्यापक डा० सुषमा टॉम्टा ने प्लांट टिश्यू कल्चर विधि पर पी.पी. पी. प्रजेन्टेशन के द्वारा व्याख्यान दिया दिया। डा० टॉम्टा ने मीडिया प्रेप्रेशन, पेड़े के एक्स प्लांट, स्टरलाइज़ेन, मीडिया प्रपेरेशन, अगार, लैमिनार फ्लो व औटोक्लेव उपकरण के संचालन पर प्रकाश डाला। डा० सुषमा टॉम्टा ने बताया कि किस तरह प्लांट टिश्यू कल्चर विधि से हर मौसम मे उच्च गुणवत्ता वाले रोग प्रतिरोध वाले उच्च गुणवत्ता वाले पौधे विकसित किये जा सकते हैं।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम परिषद् के निदेशक डा0 संजय कुमार के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। कार्याक्रम का संचालन डा० सुमित पुरोहित व शोधार्थी आरती बिष्ट ने किया।
इस दौरान ग्राफिक एरा यूनीवर्सिटी (भीमताल ) व पन्तनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य महाविद्यालय के 70 से अधिक युवा वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर अजय सिंह, प्रीतम सिंह, प्रदीप कुमार, हिम्मत सिंह, प्रदीप कुमार व अन्य कर्मचारी उपस्थित थे ।


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