नैनीताल : इसलिए पड़ा बाबा नीम करौली माहारज के आश्रम का नाम कैंची धाम, देखिए लिंक पर

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नीम करौली माहारज के भक्त देश ही नही बल्कि विदेशों में भी है बाबा के दर्शन के लिए कैंची धाम आते है। कैंची धाम को आध्यात्मिक मान्यताओं का केंद्र माना जाता है। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और ऐपलके संस्थापक स्टीव जॉब्स के साथ कई दिग्गज कैंची धाम पहुँचे और उनके जीवन को बदलने वाले अनुभवों की कहानियां प्रसिद्ध है। वही भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी विराट कोहली के भी कैंची धाम पहुँचने के बाद कई बॉलीवुड स्टार कैंची धाम माहारज जी के दर्शन के लिए पहुच चुके है।
आपको बता दें कि कैंची धाम की स्थापना 15 जून 1964 को हुई थी। नीम करौली माहारज पहली बार 1961 मे धाम आए थे और अपने मित्र पूर्णानंद की मदद से उन्होंने कैंची धाम की स्थापना की थी। कैंची धाम की स्थापना दिवस पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है और धाम ने आने वाले भक्त बाबा को मालपुए का भोग लगाते है। बाबा नीम करौली माहारज ने 15 जून को ही कैंची धाम के प्रतिष्ठा दिवस के लिए तय किया था। बाबा ने 10 सितंबर 1973 को शरीर त्यागकर महासमाधि ले ली थी। उनके समाधि लेने के बाद उनके अस्थिकलश को कैंची धाम में स्थापित किया गया था जिसके बाद से मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया। कैंची आश्रम को जाने वाली सड़क पर कैंची के फलकों की जैसे दो तीखे मोड़ है जिस कारण आश्रम का नाम कैंची धाम रख दिया गया। नीम करौली बाबा हनुमान जी को अपना आराध्य मानते थे और उन्होंने हनुमानजी के 108 मंदिरों का निर्माण करवाया था।
बाबा नीम करौली माहारज चमत्कारिक सिद्धियों के जरिए लोगो की परेशानियों को दूर कर देते थे। । वह आडंबरों से दूर रहते थे और अपने पैर किसी को छूने नही देते थे।
बाबा नीम करौली के चमत्‍कारों की कहानियों में एक और कहानी काफी सुनाई जाती है। कहा जाता है कि बाबा का एक भक्त गर्मी के कारण तप रहा था. उसे तेज बुखार हो गया था। शरीर का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा था। बाबा नीम करौली ने उस भक्‍त को तपती धूप से बचाने के लिए बादलों की छतरी बनाकर उसे वहां तक पहुंचाया, जहां उसको जाना था।


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