उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी द्वारा तृतीय बेयोटेक्नोलॉजी कॉन्क्लेव का समापन कार्यक्रम का किया आयोजन

Spread the love







पंतनगर। उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद्, हल्दी द्वारा पंतनगर विश्विद्यालय, पशुपोषण कल्याण समिति, बरेली व कुमाऊं विवि के तत्वाधान में रतन सिंह ऑडीटोरियम में तृतीय बॉयोटेक्नोलॉजी कॉन्क्लेव का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आइसीएआर पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक डा. लक्ष्मीकांत ने उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद् के निदेशक प्रो. डा. संजय कुमार तथा परिषद् के क्षेत्रीय कार्यालय पटवाडांगर के प्रभारी डा. सुमित पुरोहित को छात्रों के माध्यम से तैयार किये गये 3085 सीड बाल बीजकमंडल दस मिनट में तैयार आसियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड दर्ज कराने हेतु वर्णित अवार्ड से सम्मानित किया। जिसमें आरएनए पब्लिक स्कूल, बीपीएस रूद्रपुर, डीपीएस हल्द्वानी, कैम्पस स्कूल, हीरवती माधवनंद जोशी सरस्वति विहार, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के 305 छात्र-छात्रों ने सहयोग किया। इस कार्यक्रम में परिषद् के निदेशक प्रो. (डा.) संजय कुमार, अधिष्ठाता, पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पंतनगर विवि, डा एनएन पाठक पूर्व निदेशक, सीआइआरबी, हिसार, डा. अनिल कुमार, पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पंतनगर विवि, डा. एके उपाध्याय, वीपीई, पंतनगर विवि व डा वीना पाण्डे अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, कुमाऊं विवि ने बॉयोटेक्नोलॉजी, पशुपालन व खेती पर अपने अपने विचार रखे।

डा. संजय कुमार ने बताया कि किस प्रकार सीड बाल (बीजकमंडल) पर्वतीय क्षेत्रों के बंजर भूमि व दुर्गम क्षेत्रों व जंगलों में फेंक कर कम संसाधनों से विभिन्न प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले पौधे तैयार किये जा सकते हैं।

डा. सुमित पुरोहित ने बताया कि बाल (बीजकमंडल) का उत्पादन प्लांट टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला का क्षेष्ठ एम मीडिया के उपयोग से किया गया। डा सुमित पुरोहित ने आगे बताया कि कूड़े का निस्तारण करते हुए हरियाली फैलाने की नई तकनीक इजाद की है। उन्होनें कचरा, मिट्टी और बीज से बायो सीड बाल तैयार की है। इस डिस्क को बंजर भूमि, पहाड़ों और दूरदराज के इलाकों में फेंका जायेगा। बरसात में उपयुक्त पानी, मिट्टी में मौजूद पोषण तत्वों से डिस्क में मौजूद बीज अंकुरित होंगे जो धीरे-धीरे पेड़ का रूप ले लेंगे। डा. पुरोहित ने बताया कि पादप ऊतक संवर्धन (प्लांट टिश्यू कल्चर) से तैयासर पौधों को एक सीमित समय के बाद मीडिया (पौधे की वृद्धि के लिए आवश्यक 13 प्रकार के पोषक तत्त्व) से बदला जाता है। इसके बाद पुराने मीडिया को फेंक

दिया जाता है। परिषद् के वैज्ञानिकों ने इसी बेकार मीडिया पर तीन साल काम कर आनुपातित रूप से मिट्टी, कचरे से बनी खाद व बीज आदि को मिलाकर उचित तापमान व नमी में बायो सीड बाल बनाई है।


Spread the love
error: Content is protected !!