लंपी वायरस की चपेट में आये गौवंशीय पशु, कुमाऊं में अब तक कई मवेशियों की मौत

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हल्द्वानी। गौवंशीय पशु लंपी वायरस की चपेट में आ रहे हैं। कुमाऊं में अब तक कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। इससे दूध उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। दुग्ध संघ भी लंपी वायरस की रोकथाम के लिए डॉक्टरों की टीम प्रभावित क्षेत्रों में भेज रहा है।

नैनीताल जिले में रोजाना औसतन 90 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। यहां सबसे ज्यादा दुग्ध समितियां हैं। राज्य में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन नैनीताल जिले में ही होता है। लंपी वायरस के मामले आने के बाद रोजाना करीब 1000 लीटर दूध के उत्पादन में गिरावट आई है। ओखलकांडा क्षेत्र में लंपी वायरस की वजह से 27 गौवंशीय पशुओं की मौत हो चुकी है। यहां और भी कई गौवंशीय पशु इस बीमारी की चपेट में है। दूध उत्पादन में और गिरावट न आए इसके लिए दुग्ध संघ सक्रिय हो गया है। दुग्ध संघ ने भी डॉक्टर और वैक्सीनेटर की टीम को ओखलकांडा क्षेत्र में भेज दी है। इस टीम में छह डॉक्टर और चार वैक्सीनेटर हैं जो यहां लंपी वायरस से प्रभावित पशुओं का उपचार कर रहे हैं और साथ ही पशुपालकों को जागरूक कर रहे हैं। बताया कि टीम प्रभावित क्षेत्र में 14 मई तक वैक्सीनेशन का अभियान पूरा कर लेगी। दुग्ध संघ की ओर से बताया गया कि पहाड़ के गांवों में जाने में टीम को पैदल तक जाना पड़ रहा है जिस वजह से वैक्सीनेशन में समय लग रहा है।

प्रभावितों की मदद की जाएगीः बोरा
नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा ने बताया कि लंपी वायरस की रोकथाम के लिए टीम को सक्रिय किया गया है। कहा कि प्रभावित पशुपालकों की दुग्ध संघ की ओर से मदद भी की जाएगी। दूध की खपत में कोई कमी प आए, इसके पूरे प्रयास जारी रहेंगे।


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