नैनीताल । आगामी 20 सितम्बर से लेकर 27 सितम्बर तक 121 वा नंदा देवी महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। जिसको लेकर लगभग सभी तैयारियां आयोजको द्वारा पूरी कर ली गई हैं। साथ ही मूर्ति निर्माण के लिए कदली वृक्ष का स्थान भी चयन भी कर लिया गया हैं, इस वर्ष पहली बार कदली वृक्ष हल्द्वानी से लाया जा रहा हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि कैसे मूर्ति निर्माण के लिए कदली वृक्ष का चयन किया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं की किस तरह से उस वृक्ष को चयन किया जाता है जिससे मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण की जाती है।
बता दें कि कदली वृक्ष पर पहले फूल व अक्षत चढ़ाए जाते हैं इस दौरान जो पेड़ हिलता है , उसको ही देवी की शक्ति मानते हुए मूर्ति के निर्माण के लिए चयन किया जाता है। वही एक खास बात का ध्यान यह रखा जाता है की जिस वृक्ष पर फल देने के लिए फूल निकले होते है उस वृक्ष का चयन नही किया जाता है।
मां नंदा सुनंदा की मूर्तियां जो कदली वृक्ष से तैयार की जाती है जिसमें पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। जिसके लिए प्राकृतिक रंगों के साथ ईको फ्रेंडली वस्तुओं का ही चयन किया जाता है।
वही आपको बता दें की मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों को चांदी से बनाने का भी इतिहास रहा है। सन 1955 – 56 मूर्तियों का निर्माण चांदी से किया जाता था। इतना ही नहीं बल्कि थर्माकोल से भी चांदी की मूर्तियां निर्माण की जाती थी लेकिन आज बदलते समय का साथ मूर्तियों का निर्माण केले के पेड़ से किया जाता हैं।