उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बसा कैंची धाम जो अपने अलौकिक आस्था के लिए विश्वप्रसिद्ध है लेकिन कई वर्षों से यहाँ के आस पास के क्षेत्रों में बाहरी लोगों का कब्जा बढ़ता ही जा रहा है जिसको लेकर स्थानीय प्रशासन और सरकार उदासीन रवैया अपना रही है ।
एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहां नोएडा का एक तथाकथित नेता राजीव चौधरी पर सोसायटी के ही लोग संगीन आरोप लगा रहे है । आरोपो के अनुसार 2016-17 में कैंची धाम के पास गौतम बिल्डर के बनाए हुए फ्लैट्स में राजीव चौधरी एक फ्लैट लेता है और बिल्डर से बिजली को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद 12 जून 2017 को बनी गुरुकृपा निवासीय कल्याण समिति में महासचिव बन जाता है ।
संयुक्त सचिव सुमित खन्ना के अनुसार एक फ्लैट के पेमेंट समायोजन के बाद बिजली के लिए ट्रांसफार्मर लगवाने के लिए 30000 रुपए प्रति व्यक्ति पर सहमति बनती है और अधिकतर सदस्यों के द्वारा सोसाइटी के खाते में पैसा भी डाल दिया जाता है जिसके बाद सुमित खन्ना और उर्मिला चौरसिया सोसायटी महासचिव राजीव चौधरी से ट्रांसफार्मर लगवाने को कहते है लेकिन राजीव चौधरी सोसायटी के पास आई हुई अधूरी धनराशि का हवाला देता है और बात इस हद तक बिगड़ जाती है कि राजीव चौधरी तथाकथित शूटर से सुमित खन्ना को धमकी दिलवा देता है । इसी बात को लेकर सुमित खन्ना और राजीव चौधरी का विवाद बढ़ता चला जाता है । जिसके बाद सुमित खन्ना पुलिस में शिकायत करता है और पुलिस राजीव चौधरी पर धारा 504 और 506 में मामला दर्ज़ करती है । आरोप के अनुसार इस मामले को सुलझाने के लिए की गयी सभी बैठकें बेनतीजा रही लेकिन राजीव चौधरी ने कुछ सदस्यों को विश्वास में लेकर एक बैठक में अध्यक्ष प्रमिला कुमारी सक्सेना और संयुक्त सचिव सुमित खन्ना को गुरुकृपा सोसायटी से बाहर कर देता है ।
आरोपों के अनुसार कई बार आपसी विवाद के चलते एक बार फिर सभी बैठक होती है और जिन लोगों पर सोसायटी का बकाया देनदारी निकल रही थी उन पर 30000 रुपए तय कर जो कि सोसायटी के अन्य सदस्य अशोक शाह को सोसायटी के नाम चेक से दे दिये जाते है लेकिन राजीव चौधरी 30000 रुपए से बढ़ाकर 35000 रुपए कर देते है जिस पर सुमित खन्ना और अन्य सदस्य आपत्ति दर्ज़ करते है और राजीव चौधरी से सोसायटी का हिसाब मांगते है और हिसाब के बाद ही बढ़े हुए 35000 रुपए देने की बात करते है ।
एक आरटीआई में खुलासा होता है कि राजीव चौधरी ने तथ्यों को छिपा कर 2019 में ही एक नयी सोसायटी गुरुदेव आवासीय कल्याण समिति बना ली थी जिसमें वो खुद अध्यक्ष बन बैठे और कोषाध्यक्ष अपने एक खास आलोक गोस्वामी को बना दिया और खास बात ये कि आलोक गोस्वामी की पत्नी पुरानी संस्था में उपाध्यक्ष और राजीव चौधरी पुरानी संस्था गुरुकृपा निवासीय कल्याण समिति में सचिव पर पर विराजमान थे और आलोक गोस्वामी पर सोसाइटी की ही एक अन्य महिला ने बिजली चोरी का आरोप लगाकर मामला दर्ज़ करवाया था जो आलोक गोस्वामी के द्वारा माफी मांगने पर शांत हुआ । राजीव चौधरी ने बिजली का ट्रांसफार्मर भी गुरुदेव आवासीय कल्याण समिति के नाम खरीदा जबकि इस सोसायटी का खाता तक नहीं था और पुरानी सोसायटी जिंदा थी इससे बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है ।
सुमित खन्ना ने राजीव चौधरी के द्वारा उन्हे और अध्यक्ष को सोसायटी से बाहर करना षडयंत्र का हिस्सा बताया है जिससे वो परिसर के अधिकतर फ्लैट में कब्जा जमा सके ।
सुमित के अनुसार राजीव चौधरी के द्वारा की गयी ये कार्यवाही केवल रजिस्टर में हुई है जिसका आज तक न तो कोई ऑडिट हुआ है और न ही उप निबंधक को सदस्यों के निष्कासन और पुनर्गठन के दस्तावेज़ सौपे गए है और खास बात ये कि अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को बाहर करने के लिए किसी भी तरह का कोई नोटिस ही नहीं दिया गया । और उन्होने ये भी कहा कि उन्हें फ्लैट से भगाने के लिए राजीव चौधरी ने इस तरह का षड्यंत्र किया और अध्यक्ष और संयुक्त सचिव के आवास की मूलभूत सुविधाएं बंद कर दी । जबकि वो सोसायटी के गठन होने से सदस्य है और उन्होने शुरुआत का तय शुल्क भी सोसायटी को दिया हुआ है ।
17 जून को राजीव चौधरी सभी सदस्यों की एक बैठक बुलाते है जिसमें सुमित खन्ना स्थानीय पुलिस और मीडिया मामले को सुलझाने के लिए बैठक में पहुँचती है लेकिन बैठक में राजीव चौधरी नहीं आते उनके प्रतिनिधि के तौर पर नयी सोसायटी गुरुदेव आवासीय कल्याण समिति के कोषाध्यक्ष आलोक गोस्वामी पहुँचते है जिसके बाद सर्व मानवाधिकार सुरक्षा संस्था की उपाध्यक्षा अल्का सक्सेना और पुलिस की मौजूदगी में मीडिया उनसे सवाल पूछने लगती है तो वो बिना जवाब दिये अपने फ्लैट में चले जाते है ।
सुमित खन्ना के अनुसार आलोक गोस्वामी पर बिजली चोरी का मामला दर्ज़ हो चुका है जिस पर आलोक गोस्वामी ने सोसाइटी की अन्य महिला से कई बार माफी मांगी है इधर सुमित खन्ना की माँ मोहिनी खन्ना ने राजीव चौधरी और आलोक गोस्वामी पर आरोप लगाया है कि ये लोग राजीव चौधरी के दबाव में उनको सोसायटी से भगा देना चाहते है इसलिए कभी उनकी पानी की लाइन काट देते है तो कभी नल तोड़ देते है और इसलिए आए दिन अभद्रता करते रहते है । सुमित खन्ना के द्वारा कई बार पुलिस में तहरीर भी दी गयी है ।
पुलिस मीडिया और मानवाधिकार उपाध्यक्षा के पहुँचने पर राजीव चौधरी एक नया दांव चलता है जिसमें वो पुलिस मीडिया और मानवाधिकार उपाध्यक्षा को गुंडा और असामाजिक तत्व बता कर उत्तराखंड सीएम कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को ट्विट्टर पर कार्यवाही करने के लिए बोलता है ।
इस मामले में जब राजीव चौधरी से संपर्क किया गया तो उनका कोई जवाब नहीं आया जिसके बाद खबर प्रकाशित कर दी गयी एक दिन बाद राजीव चौधरी ने आवाज़ इंडिया के संपादक से बात की और अपना पक्ष रखते हुए बताया कि सुमित खन्ना और अन्य जिन्हें भी बाहर किया गया है इन लोगों ने सोसायटी का बकाया नहीं दिया है और पैसा न देना पड़े और सुविधाएं फ्री में मिलती रहे इसलिए ये लोग मेरे विरुद्ध झूठे और अनर्गल आरोप लगा रहे है उन्होने कहा कि उन पर कभी भी धारा 506 लगी ही नहीं । लेकिन जब राजीव चौधरी से दस्तावेज़ मांगे गए तो उन्होने एक सोसाइटी का रजिस्टर और दो रिकार्डिंग भेज दी जिनका तथ्यों से कोई लेना देना नहीं था और उसके बाद ख़बर को हटवाने के लिए दबाव बनवाते रहे जब और अंत में संपादक ने खबर हटाने से मना कर दिया तो उन्होने मानहानि की धमकी दे डाली । जिसके बाद आवाज़ इंडिया ने तथाकथित शूटर से संपर्क किया जिसमें खुलासा हुआ कि तथाकथित शूटर को राजीव चौधरी ने ही सुमित खन्ना को फोन पर धमकाने को कहा था ।
सोसायटी वालों का कहना है कि मई 2018 के बाद से राजीव चौधरी ने सोसायटी के आय और व्यय का लेखा जोखा सदस्यों को नहीं दिया है और जब मांगने जाओ तो भद्दी भद्दी गालियां देता है और महिलाओं का अपमान करने में भी पीछे नहीं हटता । बिजली पानी और सोसायटी की सदस्यता को लेकर उपजा विवाद एक पहेली बन चुका है जिसमें एक ही परिसर में बिना ऑडिट की हुई दो सोसायटी का होना ! सोसायटी के पदाधिकारियों का अन्य सदस्यों से तय शुल्क के ज्यादा डिमांड करना ! हिसाब मांगने पर दबंगाई दिखाना एक गहन जांच का विषय बन चुका है । एक व्यक्ति दबंगाई और षड्यंत्र के साथ उन्हीं को घर से बेदखल कर देना चाहता है जिन्होने खून पसीने की मेहनत से रहने को एक आवास जोड़ा है जब पीढ़ित व्यक्ति पुलिस के पास जाता है तो पुलिस भी बेबस नजर आती है और वो व्यक्ति घमंड में चूर निष्पक्ष मीडिया को भी खत्म करने के लिए मानहानि का नोटिस दे डालता है ।