शोध के स्तर और उसके नतीजों से ही किसी विश्वविद्यालय की पहचान बनती है – कुलपति प्रो० दीवान एस० रावत

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नैनीताल । कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा बाह्य फंडिंग एजेंसीज द्वारा वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं के प्रमुख अन्वेषकों की बैठक प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. दीवान एस रावत की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। इस बैठक का उद्देश्य प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में किए जा रहे शोध कार्यों की समीक्षा करना एवं उत्तराखंड राज्य के लाभ के लिए भविष्य की योजना विकसित करना था। बैठक में शोध एवं विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो० एन०जी० साहू द्वारा पिछले एक वर्ष में किए गए शोध कार्यों की प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया गया।

शोध सलाहकार समिति की बैठक में कुलपति प्रो. दीवान एस० रावत ने अपने संबोधन में कहा कि शोध के स्तर और उसके नतीजों से ही किसी विश्वविद्यालय की पहचान बनती है। हमें विश्वविद्यालय में शोध का स्तर उठाने के लिए सजगता एवं गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए थ्री-पी (प्रोडक्ट, पेटेंट एवं पब्लिकेशन) पर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा को समाजोपयोगी बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि प्राध्यापकों एवं उनके शोधार्थियों की अनुसंधान के प्रति सोच ईमानदार हो और वो विषय में कुछ नया जोड़ने के उद्‌देश्य से ही इस दिशा में आगे बढ़ें। अपने सम्बोधन में कुलपति प्रो.रावत ने प्राध्यापकों को प्रभावी रिसर्च प्रपोजल बनाने एवं फंडिंग एजेंसीज को भेजने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

बैठक में कुलपति प्रो० रावत के मार्गदर्शन में आरम्भ की गई कुमाऊं यूनिवर्सिटी इंटरनल फंडिंग फॉर रिसर्च (केयूआईएफआर) के सन्दर्भ में तय किया गया कि शोधकर्ता की आवश्यकतानुसार 70 प्रतिशत धनराशि समिति की अनुशंसा पर अग्रिम प्रदान की जा सकेगी।

इस अवसर पर निदेशक डीएसबी परिसर प्रो० नीता बोरा, कुलसचिव श्री दिनेश चंद्रा, वित्त नियंत्रक श्रीमती अनीता आर्या, परीक्षा नियंत्रक डॉ० महेंद्र राणा, प्रो० राजीव उपाध्याय, प्रो० ललित तिवारी, प्रो० किरन बर्गली, प्रो० सुषमा टम्टा, डॉ० रितेश साह, डॉ० महेश कुमार आदि उपस्थित रहे।


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