उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद पटवाडांगर में किया गया सांपों के संरक्षण एवं जागरूकता को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम

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नैनीताल। उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद पटवाडांगर में नेशनल मिशन हिमालयन स्टडीज की परियोजना कम्यूनिटी बेस्ड ह्यूमन कॉनफलिक्ट मिटिगेशन इन कुमाऊ हिमालय ऑफ उत्तराखण्ड के तहत सांपों के संरक्षण एवं जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य प्रवक्ता जिज्ञानशू डोलिया ने कहा कि सांपों और मानव का संघर्ष हमेशा बना रहता है जिसमें मनुष्यों को हमेशा यह भय बना रहता है कि सांप की सभी प्रजातियां विषैली एवं घातक होती है। कहा कि भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती है जिसमें से उत्तराखण्ड में 35-40 प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से मात्र 10 प्रजातियां विषैली होती हैं व जिसमें से मुख्यतः किंग कोबरा, क्रेट, वाइपर ही खतरनाक होती है। जहां तक सम्पूर्ण भारत का प्रश्न है तो कुल 15 प्रतिशत सांपों की प्रजातियां ही विषैली होती हैं। इसके अलावा धामिन, हरा सांपा जो उत्तराखण्ड के विभिनन क्षेत्रों में पाया जाता है विषैली नहीं होती है व ये प्रजातियां मेंढक, छिपकलियों, छोटे जीवों का शिकार करते हैं, जबकि मानव को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। उन्होंने अहम जानकारी देते हुए बताया कि सांप के काटने पर 4 सेमी की पट्टी से सांप की काटने वाली जगह पर बांध देना चाहिए व तुरंत प्राथमिक चिकित्सालय में पीड़ित को भर्ती कर विष-निरोधक दवाई का सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांप के काटने पर कभी भी झाड़-फूंक वाले से उपचार नहीं कराना चाहिए। बताया कि दुनिया मे सांप की 3800 प्रजातियां भारत में 280 प्रजातियां पाई है। उन्होंने बताया कि साँप पृथ्वी में 10 करोड़ वर्ष पहले विकसित हुए थे और साँप के बाहरी कान या पलके नही होती जो जमीन से कंपन जाती है उसको महसूस करते है। बताया कि साँप छिपकलियों से विकसित होते है। अजगर सबसे प्राचीन साँपो में से एक है। जिज्ञानशू ने बताया कि उनके द्वारा कुमाऊं के कोशी, विनायक, भवाली, बेतालघाट, ओखलढुंगा, ओखलकांडा, हैड़ाखान समेत अन्य स्थानों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

संस्थान के प्रभारी डॉ. सुमित पुरोहित ने बताया कि सांप प्रकृति इको सिस्टम का संतुलन बनाए रखते हैं क्योंकि जहां सांप की कमी होगी वहां चूहे, मेंढ़क इत्यादि की जनसंख्या में वृद्धि होगी। जिससे कहीं न कहीं प्रकृति का इको सिस्टम असमान्य रहेगा। बताया कि घर या कॉलोनी के आसपास सांप मिलने पर उसे मारने के बजाए उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ देना चाहिए। इस दौरान वन विभाग द्वारा धामिन एवं पॉयथन सांप को प्रशिक्षणार्थियों को दिया गया और उपकरणों द्वारा सांपों को कैसे नियंत्रित करते हैं इसका प्रशिक्षण दिया गया।

डॉ. सुमित पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम परिषद के निदेशक डॉ. राजेन्द्र डोभाल के दिशा निर्देशन और धनानन्द चनियाल वनक्षेत्राधिकारी हल्द्वानी जू एण्ड सफारी के सहयोग से हुआ। इस दौरान वन विभाग के धर्मानंद सुनाल, ललित मोहन पॉलीवाल, दया किशन तिवारी, अतुल भगत आदि ने प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम के दौरान अजय कुमार सिंह, राहुल भारद्वाज, हिम्मत सिंह, किशन सिंह, सूरज कुमार, हरीश चंद्र आर्या, जानकी देवी, सरिता देवी, आरती बिष्ट समेत तमाम लोगों की मौजदूगी रही।


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