प्रवीण कपिल
कैंची के मालपुओं को ओर अधिक मिलेगी शुद्धता
भवाली। अल्मोड़ा भवाली हाइवे स्थित कैंची में विष्वविख्यात नीब करौरी महाराज का महाप्रसाद मालपुआ भारतीय खाद्य सुरक्षा, मानक प्राधिकरण एफएसएसएआइ से प्रमाणित होगा। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग प्रमाणीकरण की पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद महाप्रसाद को प्रमाणित करेगा। उत्तराखंड में अब तक हरिद्वार के चंडी देवी मंदिर, गीता कुटीर तपोवन के प्रसाद को एफएसएसएआइ की मान्यता मिली है।एफएसएसएआइ की ओर से भगवान को पसंद स्वच्छ प्रसाद अभियान के लिए प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के भोग भंडारे का विशेष प्रसाद को प्रमाणित किया जा रहा है। यहां विश्वविख्यात कैंची धाम प्रबंधन से विभागीय अधिकारियों की शुरुआती बातचीत हो चुकी है। कैंची धाम में मालपुओ का भोग 15 जून को मंदिर के स्थापना दिवस पर लगता है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके अलावा कोटद्वार के सिद्धबली मंदिर के प्रसाद के प्रमाणीकरण के लिए भी सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। केदारनाथ व बदरीनाथ मंदिर समिति ने भी प्रमाणीकरण के लिए सैद्धांतिक सहमति जताई है। कुमाऊं में अगले चरण में गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब, नयना देवी मंदिर नैनीताल, पूर्णागिरि धाम चम्पावत के प्रसाद का प्रमाणीकरण किया जाएगा।
15 दिन पहले बनने शुरू हो जाते हैं मालपुवे
कैची धाम में 15 जून को स्थापना दिवस पर 15 दिन पहले से मालपुवे बननेकी तैयारियां शुरू हो जाती है। देश के हर राज्य व विदेशों से लगभग 2 लाख भक्त प्रसाद ग्रहण करने आते हैं।
कैसे करती है टीम प्रसाद को प्रमाणित
भारतीय खाद्य सुरक्षा टीम प्रसाद बनाने की पूरी प्रक्रिया का निरीक्षण कर प्रसाद स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित व स्वच्छ बन रहा है या नही देखती है। इसमें किचन, गुणवत्तायुक्त सामग्री की उपलब्धता, उपयोग होने वाली सामग्री आदि देखी जाती है। इसके लिए कर्मचारियों को खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रशिक्षित किया जाएगा। हर साल इसका भौतिक सत्यापन होगा। कोई कमी मिलने पर उसे दूर किया जाएगा। कमी मिलने पर प्रमाणपत्र नही दिया जाता।
धार्मिक स्थलों में परिसर के भीतर प्रसाद बेचने वालों को क्लीन स्ट्रीट फूड हब के रूप में विकसित करने की भी योजना है। ऋषिकेश से इसकी शुरुआत हुई है। रामनगर के गिरिजा मंदिर परिसर तथा हनुमान धाम छोई के लिए यह संभावना देखी जा रही है। ऐसे वेंडरों को एक साथ प्रशिक्षण देकर प्रमाणपत्र दिया जाता है।
कैची मंदिर प्रबंधक विनोद जोशी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा टीम से मौखिक वार्ता हुई है। मंदिर में हमेशा से साथ सफाई का ध्यान रखकर भोग बनाया जाता है। अगर श्रद्धालुओ के लिए खाद्य सुरक्षा का और अधिक ध्यान रखा जाए तो हम इसके लिए सहमत हैं।