भवाली,भीमताल नगर से कुछ दूरी पर कुमाऊं प्रसिध्द प्राकृतिक ‘गहरी झील’ नौकुचियाताल में ‘एरियेशियन प्लांट’ के नहीं चलने के कारण अब मछलियों एवं झील की पारदर्शिता पर संकट मंडरा रहा है l पर्यटन कारोबारियो की मांग पर स्थानीय समाजसेवी पूरन चन्द्र बृजवासी ने मामले को प्रमुखत्ता के साथ लेते हुए ‘कुमाऊं आयुक्त’, जिलाधिकारी एवं मुख्य मंत्री समाधान पोर्टल को प्लान्ट शीघ्र चलाने कि मांग भेजी, पत्र में माँग करते हुए उन्होंने बताया कि नौकुचियाताल में झील की पारदर्शिता बढ़ाने तथा झील में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए सरकार ने 12 करोड़ की परियोजना बनाई थी, जो वर्ष 2014 में मशीन लगाकर संचालित कि गयी, उसके उपरांत नौकुचियाताल झील की प्रादर्शिता काफी बड़ी साथ ही झील के सौंदर्य में भी काफी निखार आया और ऑक्सीजन प्लांट चलने से गहरी झील को प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन भी मिलने लगी, समाज सेवी पूरन ने बताया कि अब हालात यह है कि सालों-साल से प्लांट की मशीन का संचालन करने वाली कंपनी को भुगतान तक नहीं किया गया, जिस कारण काम बंद होने से करोड़ों की मशीन जंग लगने के कगार पर है, अब झील की गहराई में ऑक्सीजन की कमी से मछलियां मरने का खतरा बना है l
बृजवासी ने पत्र माध्यम से शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाना चाहा और बताया कि पूर्व में ‘एशियन डेवलपमेंट बैंक’ के सहयोग से “इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम और पर्यटन” के तहत गहरी नौकुचियाताल झील में पानी को साफ करने के लिए ‘एरियेशियन प्लांट’ का काम शुरू हुआ था l उन्होंने कहाँ विभाग से मिली जानकारी के अनुसार योजना को संचालित करने वाली कंपनी का अनुबंध वर्ष 2017 में ही समाप्त हो गया, किंतु इसके बाद भी पर्यटन विभाग ने इस परियोजना को अपने हैंड ओवर नहीं लिया और संस्था ने भी धन की चाह में योजना का संचालन जारी रखा और आज स्थिति यह है कि पिछले 6 महीनों से प्लांट बंद है, जिससे ‘गहरी झील’ को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो गई और आज कई माह बीत जाने के बाद अब धीरे-धीरे ये समस्या नौकुचियाताल झील एवं स्थानीय सभी लोगों को चिंतित करने वाली हो गयी है | पूरन बृजवासी ने प्रशासन से ठोस नीति बनाकर ‘एरियेशियन प्लांट’ पूर्व की भाँति शीघ्र चालू रखने की माँग की है ताकि नैर्सिंग सरोवर नौकुचियाताल को प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन मिले और पूर्व की तरह झील की प्रादर्शिता बनी रहे l