आयरन लेडी इंदिरा हृदयेश की पुण्यतिथि में उनको किया गया याद, निधन से पहले कही थी ये बात

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देहरादून। उतराखंड की आयरन लेडी इंदिरा हृदयेश के निधन के साथ ही उनका सपना भी अधूरा रह गया। उतराखंड में होने वाले चुनाव में चुनाव लड़ने का उनका सपना था। कहते हैं जब कोई सपना अधूरा रह जाए तो तकलीफ़ होती है, लेकिन अगर वो सपना देखने वाला अपने सपने के साथ इस दुनिया से ही चला जाए तो तकलीफ़ और जयदा बढ़ जाती है। इंदिरा हृदयेश के साथ भी यही हुआ। उन्होंने अपनी मौत से कुछ दिन पूर्व कहा था कि अभी तो मैं चुनाव लड़ना चाहती हूं। उन्होंने कहा था कि चुनाव लड़ूंगी भी और उसी की तैयारी कर रही हूं। दिल्ली बैठक के लिए आयी हूं, लेकिन क्या पता था किसी को कि ये उनकी आख़िरी बैठक और आख़िरी दिल्ली दौरा रह जाएगा। दिल्ली से लेकर उतराखंड तक लोग सदमे में थे। उनकी आवाज़ को सुनकर लोग एक साथ नज़र आते थे। वो एक ऊर्जावान नेता के साथ-साथ मिलनसार महिला भी थीं। सबको एक साथ लेकर चलने में उनका हुनर था। अब जब वो नहीं है तो उनके साथ उनके सपने भी अधूरे रह गए, जिसका अफ़सोस पूरे उतराखंड को है।

आज उनकी पुण्यतिथि है। सभी की आंखें नम थीं और सभी के चेहरे पर एक अलग तरह की बेचैनी सी थी की आखिर उनकी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश कहां चली गईं। सभी ने इंदिरा ह्रदयेश के किए गए कार्यों को याद करते हुए उनके अधूरे सपने को पूरा करने का संकल्प लिया। नगर कांग्रेस कमेटी, नैनीताल के अध्यक्ष अनुपम कबड्वाल के नेतृत्व में उत्तराखंड की आयरन लेडी पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश की दूसरी पुण्यतिथि पर नगर के कांग्रेस जनों द्वारा उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कांग्रेस जनों द्वारा उनको नमन करते हुए उनके विकास कार्यों को याद किया गया। नगर अध्यक्ष अनुपम कबड्वाल ने प्रदेश सरकार से मांग करी की आयरन लेडी के अधूरे सपने रिंग रोड, आईएसबीटी आदि अधूरे कार्यों को कुमाऊं की जनता के व्यापक हित में शीघ्र पूरा करें।

इंदिरा ह्रदयेश का राजनीति सफ़र

80 साल की इंदिरा ह्रदयेश का एक लंबा राजनीतिक जीवन रहा। वह 1974 में पहली बार अविभाजित उत्तर प्रदेश के लिए विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं और फिर लगातार चार बाद इसकी सदस्य रहीं। दिवंगत मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के करीबी लोगों में शामिल इंदिरा को उत्तराखंड, विशेषकर कुमाऊं क्षेत्र में कांग्रेस का दिग्गज नेता माना जाता था। राज्य बनने के बाद जब पहली बार 2002 में विधानसभा चुनाव हुए तो वह हल्द्वानी से विधायक रहीं और तब से वह केवल एक बार यहां से चुनाव नहीं जीत सकी। जब-जब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार रही, इंदिरा ह्रदयेश कैबिनेट मंत्री रहीं। एनडी तिवारी सरकार में उनका दबदबा ऐसा था कि उन्हें सुपर मुख्यमंत्री तक कहा जाता था। लोकनिर्माण विभाग, संसदीय कार्य मंत्री, वित्त मंत्री जैसे अहम विभागों की मंत्री रहीं। एनडी तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत, तीनों के ही मुख्यमंत्री काल के दौरान उनके अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी रही। कांग्रेस में कलह के दौरान उन्हें मुख्यमंत्री तक बनाने की बात कही गई थी।


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