मुम्बई। 70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा जगत के अभिनेता का हैंडसम होना सबसे जरूरी माना जाता था। उसी दौर में अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे औसत दिखने वाले अभिनेताओं ने फिल्मों का रुख किया और अपने लुक्स को लेकर कई मुश्किलें भी झेलीं। ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह भी उन्हीं दिनों थियेटर से निकलकर फिल्मों में काम ढूंढने मुंबई आए थे। उनके लुक को देखकर अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा था कि ऐसे शक्ल वाले इंसान एक्टर बनने की जुर्रत कैसे कर सकते हैं। इस बात का जिक्र नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी के अनुपम खेर के शो, ‘द अनुपम खेर शो’ में किया था। अनुपम खेर ने नसीरुद्दीन शाह से सवाल किया था, ‘हिंदुस्तानी सिनेमा में उस वक्त लुक सबसे ज्यादा जरूरी होता था। नसीर साहब आपको इस बात का कॉम्प्लेक्स था?’ जवाब में नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ‘कॉम्प्लेक्स बिलकुल था हालांकि हौसला बढ़ाने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा और अमिताभ बच्चन जैसे एक्टर भी आ गए थे तब तक। सिर्फ खूबसूरत चेहरे नहीं थे, किरदार वाले चेहरे भी आने लगे थे। मुझे मालूम था कि मेरी शक्ल फिल्म स्टार जैसी नहीं है। इस बात को स्वीकारने में तकलीफ तो हुई लेकिन मैं इसके साथ रहने लगा था।’ उन्होंने आगे कहा था, ‘मुझे महसूस हुआ कि मेरे पास एक एडवांटेज है कि मैं अपने चेहरे को बदल सकता हूं। एनएसडी के दिनों की एक तस्वीर है, मेरी और ओम पुरी की, जिसको देखकर शबाना आज़मी ने ये कहा कि दो इतने बदशक्ल इंसान कैसे जुर्रत कर सकते हैं एक्टर बनने की?’ तब ओम पुरी ने उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि शबाना आज़मी ने दोनों की तस्वीर देखकर कहा था, ‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की।’ नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी में थियेटर के जमाने से ही दोस्ती थी। दोनों ने फिल्म जगत में भी साथ मिलकर काम करना शुरू किया। एक बार ओम पुरी ने नसीरुद्दीन शाह की जान भी बचाई थी। इस बात का जिक्र नसीरुद्दीन शाह ने अपनी किताब, ‘देन वन डे: अ मेमोइर’ में किया है। साल 1977 की बात थी। दोनों फिल्म ‘भूमिका’ के लिए शूटिंग कर रहे थे। उन दिनों नसीर अभिनेता जसपाल से बात नहीं कर रहे थे। दोनों के बीच किसी बात को लेकर खटपट चल रही थी। ओम पुरी और वो डिनर कर रहे थे कि तभी जसपाल आए और उन्होंने नसीरुद्दीन शाह की पीठ पर चाकू भोंक दिया और भाग खड़े हुए। ओम पुरी ने जब ये देखा तो जल्दी से नसीरुद्दीन शाह को अस्पताल ले गए और उनकी जान बचाई।
Rohit Verma
संपादक