आस्था का केंद्र ! नैनीताल के इस मंदिर में मौजूद हैं स्वयंभू शिवलिंग, साल भर प्रकृति करती हैं शिवलिंग का जलभिषेक, महाशिवरात्रि पर उमड़ता हैं शिवभक्तों का तांता

Spread the love

नैनीताल – उत्तराखंड जहां कण कण में देवी देवताओं का वास हैं, जिस कारण इसे देवभूमि भी कहा जाता हैं, स्वर्ग से सुंदर इस उत्तराखंड में कई ऐसे तीर्थ स्थल है जो अपने आप में ऐतिहासिक हैं, यहां मौजूद हर तीर्थ स्थल का अपना एक इतिहास और महत्व है जो उसे खास बनाता हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल नैनीताल के कृष्णापुर क्षेत्र में मौजूद है जो भव्य और प्राचीन है। इस मंदिर को गुफा महादेव के नाम से जाना जाता है, जहां एक भव्य शिवलिंग मौजूद हैं, जिसे स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है। किंवदंतियों के अनुसार यहां वर्तमान में जो शिवलिंग मौजूद हैं वह स्वयं धरती से निकला था, इसलिए यह स्वयंभू शिवलिंग कहलाता हैं।यहां वर्ष भर शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक रूप से जल गिरता है, जिससे शिवलिंग का जलाभिषेक होता हैं।
इस मंदिर में माहशिवारात्रि को पूजा-अर्चना करने के लिए शिवभक्तों का तांता लगा रहता है।

नैनीताल के कृष्णापुर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग

इस मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी काफी पुरानी है। मंदिर की स्थापना के सम्बंध में इतिहासकार प्रो.अजय रावत बताते हैं कि क्षेत्र के ही एक निवासी कृष्णा शाह की पत्नी जो भगवान शंकर की परमभक्त थी, उन्हें महाशिवरात्रि की सुबह महसूस हुआ कि स्वयं भगवान शिव उनसे कह रहे हो कि मैं भूमिगत हूं। जिसके बाद उन्होंने इस घटना के बारे में अपने पति को बताया, जो खुद एक शिवभक्त थे। वही जब शिवरात्रि के दिन वर्तमान में मौजूद इस मंदिर के पास खुदाई की गई तो उन्हें वहां एक शिवलिंग दिखाई दिया। शिवलिंग के बाहर निकलते ही इसमें से तेज रोशनी निकली जिससे कुछ पल के लिए वह क्षेत्र प्रकाशमान हो गया।

इसके बाद से यह स्थान एक तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध हुआ और शिवभक्तों के लिए एक आस्था का केंद्र बनकर उभरा। यहां स्थानीय लोगों के साथ साथ दूर दराज से आए पर्यटक भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
इस कहानी का उल्लेख प्रोफेसर रावत ने अपनी किताब उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास में भी किया है। यह नानतिन महाराज और सोमवारी महाराज जैसे महान संतों की तपस्थली भी रही।


Spread the love
error: Content is protected !!