नैनीताल। आशा फाउंडेशन का अथक प्रयास है कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना। खासकर मासिक धर्म के समय जब वह मानसिक व शारीरिक तौर पर कमजोर होती हैं उस समय 4 दिनों में वह खानपान पर खास ध्यान देते हुए साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। वह भविष्य में होने वाले खतरे से बच सकें। जैसे सर्वाइकल कैंसर या आंतरिक इंफेक्शन जिससे उनकी जान भी जा सकती है। आशा फाउंडेशन की टीम विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार इस मुहिम को लेकर चल रही है।
आशा शर्मा का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक धर्म के दौरान साफ सफाई से जुड़ी स्वच्छता संबंधित चुनौतियां बहुत है जिसके कारण महिलाओं व बालिकाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इस बारे में जानकारी का अभाव पुरानी रूढ़िवादी परंपराएं जरूरी प्रोडक्ट का समय पर ना मिल पाना “इंटरनेशनल जनरल ऑफ एनवायरमेंटल रिसर्च पब्लिक हेल्थ” के भारत के2020 स्कूलों में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता की तत्परता के परिणामों में पाया गया कि आधी से भी कम लड़कियों को मासिक धर्म शुरू होने से पहले उनको मासिक धर्म जी जानकारी थी। गरीब बेटियां मासिक धर्म के समय नैपकिन लेने के अभाव में अपने पीरियड्स के दिनों स्वास्थ्य का ध्यान रखने से वंचित रहती है। आशा फाउंडेशन की टीम ने ग्रामीण महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य को मध्य नजर रखते हुए रियूजेबल पैड्स का इस्तेमाल करना बताया। आशा शर्मा ने बताया कि एक तो गरीब मजदूरी करके रोजी रोटी कमाने वाले परिवार की बेटियों ने महिलाओं के लिए हर महीने पैड्स खरीदना आसान नहीं है। फिर उनका इस्तेमाल करने की सही जानकारी ना होने से उनको नष्ट करना एक पर्यावरण पर बहुत बड़ा सवाल है। आशा फाउंडेशन द्वारा प्रत्येक महिला को कपड़े की अच्छी क्वालिटी के पेड्स दिए गए है। जिनको बार-बार धोकर इस्तेमाल करने से ना तो त्वचा को कोई नुकसान होगा और महिलाएं उन दिनों ज्यादा विश्वास से अपना ध्यान रख पाएंगे उनको ना ही हर महीने अपने ऊपर खर्च करना है और ना ही उनको फिक्र पर्यावरण को दूषित करना है। आशा फाउंडेशन ने ग्रामीण महिलाओं को बताया कि रियूजेबल पैड कम से कम 3 साल है बताएं कि 28 मई दुनियाभर में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद महिलाओं में सेफ पीरियड्स के फायदों से अवगत कराने के साथ इसमें खुलकर बात करने का बढ़ावा दिया जाए उनका कहना है कि सभी स्कूलों में खासकर ग्रामीण इलाकों में समय-समय पर मासिक धर्म पर चर्चाएं रखी जाए जिससे वह घर परिवार में खुलकर खुलकर बात करें और सब का ध्यान रखें आशा शर्मा का मानना है कि जब तक हम प्रत्येक बालिका स्त्री को मासिक धर्म के समय सुरक्षित नहीं कर सकते व पुरानी चली आ रही रूढ़िवादिता को नहीं हटा सकते तब तक हम हमारी जंग जारी रहेगी।